
सैनिकों की कर्मस्थली गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट के परेड ग्राउंड में रविवार को आयोजित शहीद सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री ने 71 बलिदानियों के परिजनों काे शाॅल ओढ़ाकर और ताम्रपत्र प्रदान कर सम्मानित किया। शहीद सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड वीरों की धरती है। यहां वीर सैनिकों की शौर्य गाथाओं के अनगिनत किस्से गूंजते हैं। बलिदानियों के परिवारों के आंसू पोंछना व संकट की घड़ी में उनके साथ खड़ा होना सरकार की जिम्मेदारी है। वीरों की कर्मस्थली गढ़वाल राइफल्स को वे नमन करते हैं। उन्होंने पूर्व सैनिकों, वीर नारियों, बलिदानियों के परिवारों के कल्याण के लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा संचालित लाभकारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि शहीदों के परिजनों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 50 लाख रुपये किया गया है। बलिदानी के अंतिम संस्कार के लिए 10 हजार की सहायता राशि दी जाती है। सैनिकों को भूमि खरीद पर लगने वाली स्टांप ड्यूटी के रूप में 25 प्रतिशत तक की छूट दी जा रही है। बलिदानियों के परिजनों को सरकारी सेवा में संयोजन के तहत 28 परिजनों को नियुक्ति प्रदान की जा चुकी है। 13 मामलों मेंं प्रक्रिया चल रही है। सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि प्रदेश के 1734 बलिदानियों के आंगन की मिट्टी को सैन्य धाम लाया जाना था, लेकिन उस दौरान 39 बलिदानी छूट गए थे। इस बीच 32 अन्य सैनिकों ने भी देश के लिए अपना बलिदान दिया। लोकार्पण से पहले छूटे हुए बलिदानियों के आंगन की मिट्टी को सैन्य धाम लाया जाना है। जल्द ही मुख्यमंत्री धामी के संरक्षण में पांचवें धाम सैन्य धाम का लोकार्पण होगा।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने कहा कि गढ़वाल राइफल्स का बेमिसाल युद्ध इतिहास रहा है। यहां के सैनिकों ने अपनी जान की बाजी लगाकर सरहद की रक्षा की। विधायक दिलीप रावत ने कहा कि गढ़वाल राइफल्स में वीरों को प्रशिक्षित कर उन्हें देश सेवा के लिए तराशा जाता है। उन्होंने शहीद सैनिकों की शहादत को चिरस्थायी बनाने के लिए बलिदानियों के नाम पर लैंसडौन विधानसभा क्षेत्र में सरकारी प्रतिष्ठानों, सड़कों, अस्पतालों के नाम रखने की मांग की।